बल आघूर्ण एवं सूत्र
किसी भी पिण्ड पर लगे वह बल आघूर्ण के कारण ही किसी पिण्ड में किसी अक्ष के परितः घूमने की प्रवृत्ति होती है। बल आघूर्ण, बल के परिमाण तथा घूर्णन अक्ष (What is Torque and Formula) से बल की लम्बवत् दुरी के गुणनफल के बराबर होता है।
बल आघूर्ण τ = बल x लम्बवत् दूरी
= F * R = FR sin θ
अत:, जहाँ R sin θ = बल की घूर्णन अक्ष से लम्बवत् दूरी।
1. बल की उस क्रिया रेखा की घूर्णन अक्ष से दूरी जितनी ही अधिक होगी उन्ही ही वस्तु को घुमाने के लिए कम बल की आवश्यकता होगी। इसी कारण से घरों की जो आटे की चक्की होती है उनको घुमाने वाला हत्था कीली से दूर लगाया जाता है एवं दरवाजों पर हैण्डिल कब्जे से दूर ही लगाया जाता हैं और इसी कारण पेंचकस का जो हत्था है उसे भी चौड़ा बनाया जाता है।
2. अगर बल की जो क्रिया रेखा घूर्णन अक्ष से गुजरती है तब पिण्ड को जितना चाहे उतना बल लगाकर भी नहीं घुमाया जा सकता।
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