Geostationary Satellite in Hindi / भू-स्थिर उपग्रह की परिभाषा
Table of Contents / लेख-सूची
किसी भी कृत्रिम उपग्रह की वृत्तीय कक्षा पृथ्वी के विषुवतीय तल (equatorial plane) में पृथ्वी में इतनी ऊँचाई पर स्थिर हो कि उपग्रह का जो परिक्रमण काल है को बिलकुल ठीक पृथ्वी के अपनी अक्ष के परितः परिक्रमण काल (24 घण्टे) के बराबर ही हो और वह उपग्रह जो होगा वो पृथ्वी के सापेक्ष स्थिर ही होगा।
इस कारण से उपग्रह को भू स्थिर अथवा तुल्यकाली उपग्रह (Geostationary or synchronous satellite) कहते है | यह उपग्रह जो होते है वह किसी भी निश्चित स्थान के सापेक्ष स्थिर रहते है और वहाँ से चित्र पृथ्वी पर भजते है, ठीक इसी प्रकार से उपग्रह से ही दूरदर्शन संकेतों (TV signals) को परावर्तित करके दूरदर्शन के कार्यक्रमों को सुदूर स्थित दूरदर्शन स्टेशनों पर भेजता है।
![भू-स्थिर उपग्रह क्या है ? 1 What is Geostationary Satellite in Hindi](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/What-is-Geostationary-Satellite-in-Hindi-300x186.png?x61905)
सूत्रानुसार, T2 = (4π2)/GM r3 या r = ((GM T2)/(4π2 ))(1/3)
G = (6.67 x 10-11 न्यूटन-मी2/ किग्रा2),
M = (6 x 1024 किग्रा) तथा T (24 घण्टे) के मान रखने पर, भू-स्थिर कक्षा की त्रिज्या r= 4.2 x 104 किमी प्राप्त होती है।
उपग्रह का कक्षीय वेग (Orbital Velocity of Satellite)
किसी भी उपग्रह को अगर अपनी कक्षा में घूमना हो तो उसके लिए आवश्यक न्यूनतम वेग होना चाहिए जिसे उसका कक्षीय वेग कहते है। यदि मानो m द्रव्यमान का एक उपग्रह है जिसका v1 वेग से r त्रिज्या है और वृत्तीय मार्ग पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है, तब
![भू-स्थिर उपग्रह क्या है ? 2 Example of Orbital Velocity of Satellite](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Example-of-Orbital-Velocity-of-Satellite-300x185.png?x61905)
उपग्रह का कक्षीय वेग v0, = √gR2e)/(Re+h
Re = पृथ्वी की त्रिज्या
h = पृथ्वी को सतह से उपग्रह की ऊँचाई
पलायन वेग (Escape Velocity)
पलायन वेग उस न्यूनतम वेग को कहते है, जिससे प्रयोग करने से कोई भी वस्तु को पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर फेंके देने से वह गुरुत्वीय क्षेत्र को पार कर जाता है और पृथ्वी पर फिर वापस नहीं आती।
पृथ्वी तल से पलायन वेग का मान ve , = √(2gRe ).
पृथ्वी तल पर पलायन वेग का मान 11.6 किमी/से।
उपग्रहों में भारहीनता (Weightlessness in Satellites)
किसी भी कृत्रिम उपग्रह के अन्दर प्रत्येक वस्तु भारहीनता की अवस्था में होती है, जिसका अर्थ है कि इनमें बैठे हुए अन्तरिक्ष यात्री को भी भारहीनता का अनुभव भालिंभती होता है। उपग्रह के तल के द्वारा यात्री पर लगाया गया जो प्रतिक्रिया बल होता है वह बिलकुल शून्य होता है इसलिए किसी भी उपग्रह के अन्दर अगर कोई भी व्यक्ति गिलास से जल पीना चाहेगा, तो वह उसे नहीं पी पायेगा, क्योकि उसके गिलास टेढें करने पर उसमें से पानी बाहर निकलकर बूंदों के रूप मे इधर उधर तैरने लगेगा ।
अन्तरिक्ष यात्री के भोजन को पेस्ट (paste) के रूप में किया जाता है जोकि ट्यूब में भरकर दी जाती है। उपर्युक्त कथन के अनुसार चन्द्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है, लेकिन उपग्रह होने पर भी चन्द्रमा पर भारहीनता नहीं है क्यूंकि इसका कारण है कि चन्द्रमा के द्रव्यमान के अधिक होने के कारण चन्द्रमा जो है वो स्वयं अपने तल पर स्थित व्यक्ति पर एक आकर्षण बल लगता है
![भू-स्थिर उपग्रह क्या है ? 3 Examples of Weightlessness in Satellite](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Examples-of-Weightlessness-in-Satellite-300x200.png?x61905)
![भू-स्थिर उपग्रह क्या है ? 4 Diagram of Weightlessness in Satellites](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Diagram-of-Weightlessness-in-Satellites-300x225.png?x61905)
खगोलीय पिण्डों पर वायुमण्डल की अनुपस्थिति (Absence of Atmosphere on Astronomical Planets)
पृथ्वी के चारों ओर गैसों (वायु) का एक वायुमण्डल पाया जाता है बल्कि चन्द्रमा के चारों ओर किसी भी प्रकार का वायुमण्डल नहीं है इसका कारण यह है कि हमारे वायुमण्डल में पृथ्वी पर उच्चतम सम्भव ताप पर हल्के से हल्के अणुओं (हाइड्रोजन के अणुओं) का भी औसत (ऊष्मीय) वेग, पलायन वेग से बहुत कम है।
चन्द्रमा की त्रिज्या है और चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण जो है वह दोनों ही पृथ्वी की अपेक्षा बहुत कम हैं और चन्द्रमा पर पलायन वेग जो होता है वो पृथ्वी की अपेक्षा कम है, इससे यह ज्ञात होता है कि गैसों के जो अणु होते है वो चन्द्रमा पर नहीं ठहरते, इसी कारण से चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं पाया जाता है। ठीक इसके विपरीत, कुछ अन्य ग्रहों पर पलायन वेग का मान बहुत अधिक है जैसे-बृहस्पति, शनि आदि अथवा सूर्य। वहाँ संघन वायुमण्डल विद्यमान है।
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