लोहे के प्रकार

Types of Iron in Hindi

लोहा (Iron)

लोहा जो होता है वो एक संक्रमण धातु होता है और यह जो है वो हरी सब्जियों में प्रचुर मात्रा में होती है और यह मानव रक्त के हीमोग्लोबिन के अंदर भी पायी जाती है। भारत में लोहे का निष्कर्षण इन स्थानों से किया जाता है: भिलाई, दुर्गापुर, राउरकेला तथा जमशेदपुर।

लोहे के अधिकांश जो है वो अयस्क ऑक्साइड और सिलिकॉन डाइऑक्साइड के मिश्रण के रूप में पाया जाता हैं। लोहे के प्रमुख अयस्क जो है वो है हैमेटाइट (Fe2O3), मैग्नेटाइट (Fe3O4)और आयरन पाइराइट  (FeS2) हैं।

लोहे के निष्कर्षण हेतु वात्या भट्टी (Blast furnace) का उपयोग होता है और भट्टी से प्राप्त हुआ लोहा जो जो होता है वो कच्चा लोहा (Pig Iron) होता है। कच्चे लोहे और लौह अयस्कों से पिटवाँ कर लोहा और इस्पात को पूर्ण रूप से तैयार किया जाता है।

 

लोहा जो है वो मुख्यत: तीन किस्मों के रूप में पाए जाते है और सभी प्रमुख किस्मे की सूचि है |

ढलवाँ लोहा (Cast iron):- इस लोहे में कार्बन की मात्रा जो होती है वो अपेक्षाकृत अधिक (2.5%) होती है और यही कारण यह कठोर और भंगुर होता है और इसमें जो है फॉस्फोरस (P) सिलिकॉन (Si) और मैंगनीज (Mn) आदि जैसी अशुद्धियों में पाई जाती है और यह जोहोता है वो सबसे निम्न कोटि का लोहा होता है।

पिटवाँ लोहा (Wrought Iron):- इसको ढलवॉ लोहे से आसानी से प्राप्त किया जाता है और यह एक शुद्ध प्रकार का लोहा होता है और यह लोहा जो है वो आघातवर्ध्य एवं तन्य दोनों प्रकार का होता है जिसकी व्याख्या है कि इससे चादरें (Sheets) और तार (Wires) दोनों बनाया जा सकता हैं। इस धातु में कार्बन की मात्रा जो होती है वो सबसे कम  (0.12 – 0.25%) होती है।

लोहे पर जंग लगना (Rusting of Iron):- लोहे को जो है आर्द्र, वायु में छोड़ देने पर उसके ऊपर जो है वो लाल रंग की एक ढीली परत पूर्ण रूप से बैठ जाती है जिसको हम जंग (Rust) कहा करते हैं और सरल भाषा में इस क्रिया को जंग लगना (Rusting of Iron) भी कहा जाता हैं। लोहे पर यह जंग जो है वो हवा की नमी एवं ऑक्सीजन के कारण होता है और लोहे पर जंग लगने के बाद लोहे का भार जो होता है वो बढ़ जाता है।

 

इस्पात 

इस्पात जो होती है वो लोहे की एक मिश्र-धातु होती है और जिसमें जो है वो 0.5 से 1.5 प्रतिशत तक कार्बन भी पाया जाता है। इस्पात जो है वो मृदु, क्रिस्टलीय और चमकदार भी होता है।

इस्पात में कार्बन की मात्रा के आधार पर यह जो है वो तीन प्रकार के है |

  • मृदु इस्पात:- यह इस्पात जो है वो आघातवर्ध्य एवं तन्य दोनों प्रकार के होते है और इसका उपयोग जो होता है वो वेल्डिंग करने में होता है और इसमें जो है कार्बन की मात्रा 0.15% पाई जाती है।
  • मध्यम इस्पात:- यह इस्पात जो है वो अपेक्षाकृत कठोर होता है और इसका उपयोग जो है आमतौर पर रेल उद्योग एवं  संरचनात्मक कार्यों में होता है। इस इस्पात में कार्बन की मात्रा जो होती है वो 0.15 से 0.6 प्रतिशत तक होती है।
  • अधिक कार्बनयुक्त इस्पात:- इस इस्पात का उपयोग जो है वो रेजर और शल्य क्रिया में काम आने वाले यन्त्र को बनाने में किया जाता है। इसमें कार्बन की मात्रा जो होती है वो 0.6% से 15% तक पाई जाती है।

इस्पात का तप्तीकरण (Tempering of Steel) 

किसी भी इस्पात को लाल तप्त कर के बाद तुरंत जल या तेल में डुबाकर उसको शीघ्र ही ठण्डा करने से इस्पात जो होता है वो अत्यन्त व अधिक कठोर और भंगुर होता है और इस क्रिया को इस्पात का कठोरीकरण कहा जाता है और ऐसे इस्पात द्वुत शीतलित इस्पात (Quenched Steel) कहलाते है और वो द्रुत शीतलित इस्पात जो होते है उसको पुनः गर्म करने के बाद धीरे-धीरे ठण्डा करने पर वह बहुत लचीला एवं कम भंगुर हो जाता है और यह क्रिया जो है वो इस्पात का ऐनीलीकरण (Annealing of Steel) कहलाता हैं। इस्पात का कठोरीकरण करने के बाद ऐनीलीकरण की क्रियाओं को सम्मिलित रूप से इस्पात का तप्तीकरण (Tempering of Steel) कहा जाता हैं।


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