स्टोक्स का नियम एवं सीमान्त वेग किसे कहते है

Stokes Law and Terminal Velocity in Hindi / स्टोक्स का नियम एवं सीमान्त वेग किसे कहते है

जब कोई भी पिण्ड किसी भी समांगी (Homogeneous) तरल माध्यम में वेग v से गति करें तो पिण्ड के सम्पर्क वाला तरल माध्यम जो होगा वो भी वेग v से गति करने लगेगा, परन्तु माध्यम का वह भाग जो पिण्ड से दूर है, वह विरामावस्था में रहता है। अतः पिण्ड के समीप के माध्यम की विभिन्न परतों के बीच आपेक्षिक गति होती है औए जिसके कारण श्यान बल प्रभावकारी होता है।

Define Stokes Law and Terminal Velocity in Hindi
Define Stokes Law and Terminal Velocity in Hindi

तब माध्यम पर या पिण्ड पर एक श्यान बल आरोपित होता है जोकि पिण्ड की गति का विरोध करता है। इसका जो मान है वो पिण्ड के बढ़ते हुए वेग के साथ बढ़ता चला जाता है और एक स्थिति विरोधी श्यान बल का मान पिण्ड को गति देने वाले प्रभावी बल के बिलकुल बराबर हो जाता है। इस दशा में जो पिण्ड है उस पर नेट बल जो होता है वें शून्य हो जाता है।

पिण्ड नियत वेग से गति करता है और इसे पिण्ड का ‘अन्तिम वेग’ अथवा ‘सीमान्त वेग (Terminal Velocity) कहते हैं। स्टोक्स ने यह सिद्ध किया था कि यदि । त्रिज्या का कोई एक सूक्ष्म गोला अगर  किसी अनन्त विस्तार वाल पूर्णत: समांग श्यान माध्यम (द्रव अथवा गैस) में सीमान्त चाल v से गति करे तो गोले पर कार्य करने वाला श्यान बल, F = 6rnv जहाँ n इस माध्यम का श्यानता गुणांक है। यह स्टोक्स का नियम है ।

स्टोक्स के नियम के अनुप्रयोग

  • वर्षा की बूंद होती है वो एक निश्चित अन्तिम चाल प्राप्त करती है और यह चाल बूँदों की त्रिज्या के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है। वर्षा की जो छोटी बूंद होती है वह बहुत कम चाल से गिरती है जबकि जो बड़ी बूँदे तेजी से धरती पर गिरती हैं।
  • जल की वाष्प धूल के कणों पर संघनित होती है तो प्रारम्भ में बूंदे बहुत ही छोटी होती है। इस समय इनकी नीचे की और चाल इतनी कम होती है कि ये आकाश में ही तैरती प्रतीत होती है। तब हम इन्हें बादल कहते है |

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