हाइड्रोजन और हाइड्रोजन के यौगिक

Describe Compounds of Hydrogen in Hindi

हाइड्रोजन के यौगिक (Compounds of Hydrogen, Describe Compounds of Hydrogen)

भारी जल (Heavy Water)

भारी जल की खोज जो है वो यूरे तथा वाशर्बन के द्वारा की गयी थी और यह भारी हाइड्रोजन (ड्यूटेरियम) का ऑक्साइड होता है जिसको D2O कहते है, और इसका अणुभार कुल 20 है। भारी जल जो है यह ठीक बिलकुल साधारण जल के समान ही रंगहीन होता है, गंधहीन होता है एवं स्वादहीन होता है।

इसका जो हिमांक है वो 3.8°C है और क्वथनांक जो है वो 101.42°C है इसलिए इस भारी जल को भारी कहते है, क्योकि जिसका करण यह है कि इसका जो घनत्व है वो साधारण जल से अधिक है और इस भारी जल का उपयोग आमतौर पर कीटाणुनाशक और जीवाणुनाशक के रूप में किया जाता है। यह नाभिकीय ऊर्जा जो है वो घरों (परमाणु भट्टी) में अधिक गतिशील न्यूट्रॉनों को धीमा करने के लिए और उसमें विमंदक (Moderator) के रूप में उपयोग करने के लिए किया जाता है तथा इसका उपयोग जो है वो रासायनिक अभिक्रियाओं की क्रिया-विधि को ज्पूर्ण रूप से ज्ञात करने के लिए किया जाता है। भारत में भारी जल का उत्पादन केवल नागंल तथा नरौरा में होता है।

साधारण जल (Normal Water)

जल जो होता है वो एक यौगिक होता है और इसका अणुसूत्र जो होता है वो H2O होता है। साधारण जल में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन का अनुपात जो है वो भार के अनुसार 1:8 होता है तथा आयतन के अनुसार 2:1 होता है। जल के अणुओं की आकृति पूर्ण रूप से कोणीय रहती है। शुद्ध जल जो है वो उदासीन रहता है और उसका pH मान जो होता है वो 7 होता है।

तापमान 4°C पर जल का घनत्व जो है वो अधिकतम रहता है। शुद्ध जल का क्वथनांक ठीक 100°C है और द्रवणांक ठीक पूरे 0°C है। शुद्ध जल जो होता है वो विद्युत का कुचालक होता है और अम्लीय जल जो होता है वो विद्युत का सुचालक होता है। वर्षा का जल सबसे शुद्ध जल होता है और समुद्र का जल जो होता है वो अशुद्ध जल होता है।

जल को सर्वाधिक विलायक (Universal Solvent) भी कहा जाता है और इसमें जो है कई प्रकार के पदार्थों को घोलने की क्षमता रहती है। जल का डाइडलेक्ट्रिक नियतांक जो है वो अधिक है और इसके कारण ही यह उत्तम विलायक भी माना जाता है (अपवाद-कार्बनिक पदार्थ)।

जल के प्रकार 

जल दो प्रकार का होता है

कठोर जल (Hard water)

कठोर जल जो होता है वो साबुन के साथ झाग को उत्पन्न नहीं करता क्यूंकि उसमे कैल्सियम और मैग्नीशियम के क्लोराइड, सल्फेट एवं बाइकार्बोनेट घुले हुए होते हैं और यह घुले लवण जो होते है वो स्वास्थ्य के लिए पूर्ण रूप से हानिकारक होते हैं और यह कठोर जल पीने के लिए उचित नहीं होता है।

मृदु जल (Soft Water)

मृदु जल जो होता है वो साबुन के साथ आसानी से झाग को उत्पन्न कर देता है और यह जल पीने के लिए उचित होता है।

 

जल की कठोरता

जल की कठोरता जो होती है वो दो प्रकार की होती है जोकि निम्नलिखित है

स्थायी कठोरता

जल की जो स्थायी कठोरता होती है उसमें कैल्सियम एवं मैग्नीशियम के क्लोराइड और साथ में सल्फेट लवण के घुले रहने के कारण होती है। जल की स्थायी कठोरता को दूर करने के लिए सोडियम कार्बोनट मिलाकर गर्म करने से दूर हो जाती है। जल की स्थायी कठोरता दूर करने की मुख्य विधि को परम्यूटिट विधि कहा जाता है। इस विधि में कठोर जल को परम्यूटिट (Na2AI2Si2O8.xH2O) से अभिकृत कराते हैं।

अस्थायी कठोरता

जल की अस्थायी की कठोरता जो है वो उसमें कैल्सियम एवं मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट लवण घुले रहने के कारण ही होती है। जल की अस्थायी कठोरता को दूर करने के लिए उसको उबालकर दूर कर सकते है। जल में सोडियम कार्बोनेट को डालकर फिर उबालने से स्थायी तथा अस्थायी दोनों प्रकार की कठोरता जो होती है वो दूर हो जाती है।

जल के विभिन्न रूप

  • पॉलीजल जो है वो पृथ्वी पर खतरनाक वस्तु में से एक मानी जाती है और इसका हिमांक और क्वथनांक क्रमश: 40°C तथा 5000°C होता है और सामान्य जल को बाल के आकार की नलिका से इसको गुजार कर बनाया जाता है।
  • शुद्ध बर्फ जो होते है जिसमें किसी भी प्रकार का रोगाणु नहीं होता हैं और जो लगभग 2000-3000 वर्ष पुरानी होते है उनको ब्लू आइस (Blue ice) कहा जाता है और ब्लू आइस का एक महत्वपूर्ण उपयोग व्हिस्की को बनाने में होता है।
  • केतली बर्तन में जल को उबालने पर उसकी आन्तरिक परत जो होती है उसमे सफेद रंग की परत पूर्ण रूप से जम जाती है और जो कैल्सियम एवं मैग्नीशियम के कार्बोनेट के कारण बनती है।
  • पोटैशियम परमैगनेट क्लोरीन गैस और पोटाश एलम के द्वारा जल को शुद्ध किया जाता हैं।

हाइड्रोजन परॉक्साइड (Hydrogen Peroxide)

हाइड्रोजन परॉक्साइड का रासायनिक सूत्र H2O2 होता है और यह एक प्रकार का रंगहीन, गन्धहीन तथा जल में पूर्ण रूप से घुलनशील गाढ़ा तरल होता है। हाइड्रोजन परॉक्साइड ऑक्सीकारक एवं अपचायक दोनों प्रकार के क्रियाओं में कार्य करता है। यह अपने ऑक्सीकारकका जो गुण है उसके कारण विरंजक का कार्य को करता है। इसको बाल, रेशम, हाथी के दाँत आदि के विरंजन में उपयोग किया जाता है तथा इसका एक महत्वपूर्ण उपयोग बालों के ब्लीचिंग करने में भी किया जाता है और इसका अन्य उपयोग भी जो पुराने तेल चित्रों को पूर्ण रूप से उसको चमकदार बनाने में होता है। यह एक प्रकार का जर्मनाशी और प्रतिरोधी भी होता है जिसके कारण इसका उपयोग घाव धोने, गरारे करने, दाँत तथा कान की सफाई करने में किया जाता है। इसका अन्य प्रकार का उपयोग भी है जो शराब के परिरक्षण में भी होता है।

हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना जो हो है वो एक प्रकार की खुली हुई पुस्तक के समान है।


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