Define Simple Harmonic Motion in Hindi / सरल आवर्त गति किसे कहते है
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जब काई भी पिण्ड (कण), किसी एक ही पथ पर निश्चित बिन्दु पर इधर-उधर (to end fro) आवर्त गति करता रहता है, तो इस गति को दोलन अथवा कम्पन (Oscillation) कहेंगे और उसी निश्चित बिन्दु की जो स्थिति है उसको माध्य स्थिति अथवा साम्य स्थिति कहेंगे।
![सरल आवर्त गति किसे कहते है 1 Define Simple Harmonic Motion in Hindi](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Define-Simple-Harmonic-Motion-in-Hindi-300x288.png?x61905)
सरल आवर्त गति में कोई भी कण किसी भी निश्चित बिन्दु के इधर-उधर सरल रेखा में कुछ इस प्रकार गति करता है कि कण के त्वरण की दिशा जो है वह सदैव उस निश्चित बिन्दु की ओर दिष्ट होती है एवं त्वरण का जो परिमाण है उस निश्चित बिन्दु से कण के विस्थापन के समानुपाती होती है और इस निश्चित बिन्दु को ही दोलन केन्द्र कहा जाता हैं।
सरल आवर्त गति का विस्थापन समीकरण
y = α sin ωt या
x = a cos ωt होती है।
सरल लोलक (Simple Pendulum)
एक दृढ़ आधार से लटके पूर्णतः लचीले अवर्द्धनीयभारहीन धागे से लटके हुए सूक्ष्म भारी पिण्ड को सरल-लोलक कहते हैं।
सरल लोलक का आवर्तकाल लोलक के द्वारा एक पूर्ण दोलनकरने का समय है।
आवर्तकालT = 2π√(l/g)
जहाँ,।= लोलक के धागे की लम्बाई
G= गुरुत्वीय त्वरण।
![सरल आवर्त गति किसे कहते है 2 Example of Simple Pendulum (सरल लोलक)](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Example-of-Simple-Pendulum-सरल-लोलक-300x283.png?x61905)
अगर किसी भी लोलक घड़ी को किसी उपग्रह पर ले जाया जाए तो, वहाँ भारहीनता के कारण g जो होगा वो 0 (शून्य) हो जायगा, जिसके कारण घड़ी का आवर्तकाल जो होगा वो अनन्त हो जाएगा जिसका अर्थ है कि उपग्रह पर कोई भी लोलक घड़ी काम नहीं करेगी।
![सरल आवर्त गति किसे कहते है 3 Example and Diagram of Simple Harmonic Motion](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Example-and-Diagram-of-Simple-Harmonic-Motion-300x213.jpg?x61905)
आवर्तकाल जो होता है वो लोलक के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है, अगर झूलने वाली लड़की की बगल में कोई दूसरी लड़की आकर बैठ जाए तो आवर्तकाल पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
oगर्मियों के मौसम में लोलक घडी की लम्बाई जो होती है वो बढ़ जाती है यही कारण है कि उसका आवर्तकाल भी बढ़ जाता है। फलत: मड़ी सुस्त हो जाती है सर्दियों में लम्बाई l कम हो जाने से आवर्तकाल भी कम हो जाता है और लोलक घड़ी जो होती है वो तेज चलने लगती है।
चन्द्रमा पर यदि लोलक घड़ी को ले जाए तो उस पर उसका आवर्तकाल बढ़ जाएगा, क्योंकि चन्द्रमा पर g का मानजो होता है वो पृथ्वी के g के मान का 1/6 गुना है।
आवर्तकाल में परिवर्तन
अगर पानी भरी हुई कोई भी खोखली गेंद में एक छोटा सा छेद कर दिया जाए तो उपस्थित पानी जो होंगे वो बूँद-बूँद करके रिसने लगता है और तब इसका आवर्तकाल होता है वो पहले बढ़ता है क्योकि इसका गुरुत्व केन्द्र नीचे खिसकता है जिसका अर्थ है कि प्रभावकारी लम्बाई बढ़ जाती है और लेकिन पूरा पानी निकल जाने के बाद खोखली गेंद का गुरूत्व केन्द्र पुनः केन्द्र में आ जाता है और इससे इसका आवर्तकाल पहले के ही समान हो जाता है।
मुक्त दोलन (Free Oscillation)
जब किसी भी दोलन करते हुए पिण्ड पर किसी भी प्रकार का बाह्य बल कार्यरत् अगर न हो तो पिण्ड के ऐसे दोलन को मुक्त दोलन कहेंगे | इस प्रक्रिया में पिण्ड की ऊर्जा का हास शून्य होता है।तथा पिण्ड के दोलन का आयाम नियत रहता है;
![सरल आवर्त गति किसे कहते है 4 Diagram of Free Oscillation (मुक्त दोलन)](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Diagram-of-Free-Oscillation-मुक्त-दोलन.png?x61905)
उदाहरण के लिए सरल लोलक को साम्य स्थिति से विस्थापित करके फिर छोड़ने पर वह मुक्त दोलन करता है, जिनकी जो आवृत्ति (स्वाभाविक) होती है वो लोलक की लम्बाई और गुरुत्वीय त्वरण पर ही निर्भर करती है एवं लोलक नियत आयाम से अनन्तसमय तक कम्पन करता रहेगा।
प्रणोदित दोलन (Forced Oscillation)
जब किसी भी पिण्ड को बाह्य आवर्त बल के अन्न्तगत दोलन कराए जाते हैं तो उसके दोलन प्रणोदित याचालित दोलन कहलाते हैं, उदाहरण है वाद्य यन्त्रों तथा सितार, वायलिन आदि में होने वाले दोलन इसका उदाहरण होगा।
![सरल आवर्त गति किसे कहते है 5 Example of Forced Oscillation (प्रणोदित दोलन)](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Example-of-Forced-Oscillation-प्रणोदित-दोलन-300x245.png?x61905)
अनुनाद (Resonance)
जब कोई भी दोलन करने वाले पिण्ड पर अवमन्दन प्रभाव अगर नगण्य (गिने जाने के योग्य न हो) हो जाये तो बाह्य बल की जो आवृत्ति होगी वो पिण्ड की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर हो जाएगी और जिसके कारण पिण्ड के दोलनों का जो आयाम होगा वह बहुत बढ़ जाएगा, तब इस दोलन को अनुनादी दोलन कहेंगे और यह घटना भी अनुनाद कह लाएगी | अनुनादी कम्पनप्रणोदित कम्पनों की एक विशेष अवस्था है।
![सरल आवर्त गति किसे कहते है 6 Graph of Resonance (अनुनाद )](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Graph-of-Resonance-अनुनाद-1.png?x61905)
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