प्रतिध्वनियाँ या ध्वनि तरंगों का परावर्तन्
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जब कोई भी क्षणिक ध्वनि किसी भी परावर्तक तल पर आपतित होती है तो तल से परावर्तित हो जाती है इसी घटना को प्रतिध्वनि (Echoes) कहते है। बिलकुल स्पष्ट प्रति ध्वनि को सुनने के लिए परावर्तक तल का जो आकार है वो ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्यं की अपेक्षा बहुत बड़ा होना चाहिए। अगर ध्वनि-स्रोत, श्रोता के बहुत निकट है । तब तो प्रतिध्वनि सुनने के लिए परावर्तक तल की न्यूनतम दूरी जो है, वो 166 मी होनी चाहिए।
अनुरणन (Reverberation)
किसी भी हॉल में ध्वनि स्रोत को बन्द करने के बाद भी अगर ध्वनि का कुछ देर तक सुनाई देती है तो इसे हम अनुरणन कहेंगे | अनुरणन का एक उदाहरण है बादलों की गर्जन। ध्वनि उत्पादन बन्द करने के पश्चात् जितने समय तक प्रतिध्वनि सुनाई देगी उस समय को हम अनुरणन काल कहेंगे। अनुरणन काल जो है वो कामान हॉल के आयतन और इसके कुछ अवशोषक क्षेत्रफल पर निर्भर करता है। दरवाजों पर भारी पर्दें लटकाकर हॉल की कुछ खिड़कियां खोलकर इसे कम किया जा सकता है।
अनुरणन से बचाव
सिनेमाघरों की जो दीवारें तथा ओडिटोरियम (auditorium) आदि की दीवारें जो होती है उसमे छोटे-छोटे छेद कर दिए जाते हैं या तो दीवारे खुरदरी बनाई जाती है ऐसा इसलिए किया जाता है क्यूंकि ऐसा करने से ध्वनि के अनुरणन की स्थिति जो है वो समाप्त हो जाएगी अथवा अगर ऐसा नहीं किया गया तो अनुरणन की परेशानी उत्पन्न हो जाएगी।
वायु स्तम्भो के कम्पन (Vibrations of Air Columns)
अनेक वाद्य यन्त्र होते है परन्तु कुछ इस प्रकार के होते है कि जिनमें वायु स्तम्भों के कम्पनों से ध्वनि जो होती है वो उत्पन्न होती है, उदाहरण के लिए बॉँसुरी,सीटी, बिगुल, शहनाई इत्यादि और ध्वनि उत्पन्न करने वाली नलियों को आँर्गन पाइप (organ pipe) कहते हैं |
वो नली जो एक सिरे पर बन्द हो और दूसरे सिरे से खुली हो तो उसे हम बन्द ऑर्गन-पाइप (closed organ pipe) कहते हैं तथा जो नली दोनों सिरों की तरफ से खुली होती है उसे हम खुला ऑर्गन पाइप (open organ pipe) कहते हैं। इन पाइपों में फूँक मारने से इनके भीतर स्थित वायु स्तम्भ में कम्पन होने लगते हैं।
सरल आवर्त गति से जो ध्वनि उत्पन्न होती है उसे हम स्वरक (Tone) कहते है। स्वर (Note) आवर्त गति से जो ध्वनि उत्पन्न होती है, यह उस वनि उत्पादक का स्वर कहलाती है ।
संनादी तथा अधिस्यरक (Harmonics and Overtones) किसी स्वर में उपस्थित अधिक आवृत्ति वाले स्वरक (Tones) को ही अधिस्वरक (Over Lone) कहते हैं। जब अधिस्वरको कीआवृत्तियाँ मूल स्वरक की यथार्थ अपवत्त् (Exact Multiple) होती है, तो वे संनादी (Harmonics)के नाम से पुकारी जाती हैं।
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