फैराडे के विद्युत अपघटन के नियम

Define Faraday Law of Electrolysis in Hindi

विद्युत अपघटन (Electrolysis)

विद्युत धारा के द्वारा ही विद्युत अपघट्य जो है वो उसके विघटन की क्रिया को विद्युत अपघटन कहा जाता है और यह क्रिया जो है वो विद्युत अपघटनीय सेल में सम्पन्न होती है और इस सेल में जो धातु होती है उसकी दो प्लेटें को या तार को डुबा दिया जाता हैं और इसको इलेक्ट्रोड कहा जाता हैं और ये इलेक्ट्रोड जो है किसी भी बैटरी के ध्रुवों से जोड़ दिया जाता हैं और जिसको इलेक्ट्रोड बैटरी के धन-ध्रुव से जोड़ा जाता है उसको कैथोड कहा जाता हैं और ठीक इसके विपरीत जिसको ऋण ध्रुव से जोड़ा जाता है उसको ऐनोड कहा जाता है। किसी भी घोल में जो विद्युत अपघट्य अंशत: या पूर्णत विघटित होकर आवेशयुक्त परमाणुओं या मूलकों में टूट जाते हैं उसको आयन कहा जाता हैं। धन आवेशयुक्त आयन को धनायन  कहते है और ऋण आवेशयुक्त आयन को ऋणायन कहते है। विद्युत धारा को प्रवाहित करने पर धनायन जो है वो कैथोड पर और ऋणायन जो है वो ऐनोड पर मुक्त होते हैं और कैथोड पर अपचयन अभिक्रिया होती है और ऐनोड पर ऑक्सीकरण अभिक्रिया होती है।

वोल्टमीटर जो है वो वह यन्त्र होता है, जो विद्युत ऊर्जा को आसानी से रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए उपयोग किया जाता है। विद्युत अपघटन जो है उसका उपयोग विद्युत लेपन में, धातुओं के शोधन में, विद्युत छपाई और धातुओं के निर्माण आदि को करने में किया जाता है और किसी भी निम्न कोटि की धातु को जो है सुरक्षित रखने में या उसको विशेष रूप से आकर्षक बनाने के लिए उस पर एक उच्च कोटि की धातु की एक बहुत पतली परत चढ़ाने के प्रक्रम को विद्युत लेपन कहा जाता हैं और विद्युत लेपन जो है वो धातुओं को जंग लगने व संक्षारण से बचाने के लिए उपयोगी भी होता है।

फैराडे के विद्युत अपघटन के नियम (Faraday’s Law of Electrolysis)

1883 में माइकल फराडे ने विद्युत अपघटन का गहन अध्ययन किया था और विद्युत अपघटन के सम्बन्धित दो नियमों का भी प्रतिपादन किया था।

प्रथम नियम (First Law)

प्रथम नियम के अनुसार यह बताया गया है कि इलेक्ट्रोड से मुक्त हुए अथवा इलेक्ट्रोड पर एकत्रित होने वाले पदार्थ की मात्रा जो है वो विद्युत अपधट्य में से प्रवाहित आवेश के ठीक समानुपाती होती है।”

जहाँ, w ∝ Q
w  = मुक्त औयनो का द्रव्यमान
Q = प्रवाहित विद्युत की मात्रा (कूलॉम में)
Q = i x t           ∴ w ∝ it 
w = Zit
जहाँ, i = ऐम्पियर में धारा
t = समय सेकण्ड में
Z = विद्युत रासायनिक तुल्यांक
यदि i = 1 ऐम्पियर तथा t = 1 सेकण्ड
w = Z

जिसका अर्थ है कि किसी भी पदार्थ का विद्युत रासायनिक तुल्यांक उसकी वह मात्रा होती है जोकि 1 ऐम्पियर की विद्युत धारा 1 सेकण्ड तक प्रवाहित होने पर प्राप्त होती है।

द्वितीय नियम (Second Law)

द्वितीय नियम से हमे यह ज्ञात होता है कि जब विद्युत धारा की समान मात्रा विभिन्न विद्युत अपघट्यों में प्रवाहित होती है, तो इलेक्ट्रोडों पर मुक्त मात्राएँ जो होती है वो उनके तुल्यांकी द्रव्यमान या विद्युत रासायनिक तुल्यांक के ठीक समानुपाती होती हैं।” अगर w1 व w2 तत्वों के लवणीय विलयनों में से प्रवाहित विद्युत धारा जो है उसकी निश्चित मात्रा के द्वारा एकत्र तत्वों के भार और E1 व E2 उनके तुल्यांकी भार हैं तो,

w1 / w2 = E1 / E2 = Z1it / Z2it
Z1 / Z2 = E1 / E2
E ∝ Z
E = FZ
अथवा
और जहाँ, F = फैराडे स्थिरांक (1 F = 96500C), E = 96500Z

विद्युत धारा की जो है वो वह मात्रा है जोकि हर एक तत्व का एक ग्राम तुल्यांक मुक्त करती है और इसको एक फैराडे कहा जाता है।


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