How did Discovery of Radioactivity
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प्रिय मित्रों, आज हम आपके बीच How did Discovery of Radioactivity को साँझा कर रहे है | इस How did Discovery of Radioactivity पोस्ट की सहायता से आप रेडियोऐक्टिवता से सम्बन्धित सारी जानकरी को जान सकेंगे जैसे : रेडियोऐक्टिवता की खोज किसने करी, किस सन् में रेडियोऐक्टिवता की खोज हुई आदि जैसी जानकरियां | इस पोद्स्त की सहायता से एल्फा (α), बीटा (β), तथा गामा (γ) किरणों से सम्बन्धित जानकारी भी उपलब्ध है जिसको पढने के बाद आप किसी भी परीक्षायों की तैयारी कर सकते है |
हेनरी बेकुरेल जो फ्रांस से वैज्ञानिक थे उन्होंने रेडियोऐक्टिवता की खोज सन् 1896 ई. में की थी। फ्रांसीसी वैज्ञानिक हेनरी बेकुरेल ने यह देखा कि यूरेनियम और थोरियम लवणों से कुछ अदृश्य किरणें है जो स्वतः उत्सर्जित (Emitted) होती रहती हैं। यह अदृश्य किरणों का नाम बेकुरेल किरणें रखा गया। तत्पश्चात् कुछ अध्ययन करने से ज्ञात हुआ कि थोरियम, पोलोनियम, ऐक्टिनियम, रेडियम आदि रेडियोऐक्टिव पदार्थ हैं।
मैडम क्यूरी तथा उनके पति पियरे क्यूरी सन् 1898 में 30 टन पिच ब्लेण्डी से 2 मिलीग्राम रेडियम को प्राप्त करने में एक सफलता प्राप्त करी और यह पाया लगाया कि रेडियम, यूरेनियम की अपेक्षा 10 लाख गुना अधिक रेडियोऐक्टिव है।
आज लगभग विश्वभर में 40 प्राकृतिक रेड़ियोऐक्टिव समस्थानिक एवं अनेक रेंडियोऐक्टिव तत्व के बारे में ज्ञात हैं। हेनरी बेकुरेल तथा मैडम क्यूरी तथा उनके पति पियरे क्यूरी को 1903 ई. में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
रेडियोऐक्टिवता की इकाई को हम क्यूरी, रदरफोर्ड एवं बेकुरेल से दर्शाते है।
1 क्यूरी = 3.7 x 10^10 विघटन/सेकण्ड
1 रदरफोर्ड = 10^6 विघटन/सेकण्ड
1 बेकुरेल = 1 विघटन/सेकण्ड
रेडियोऐक्टिव किरणें (Radioactive Rays )
रेडियोऐक्टिव पदार्थों से निकलने वाली जो अदृश्य किरणों होती है उन्हें रेडियोऐक्टिव किरणों से जाना जाता है। रदरफोर्ड (1902) ने राडयोएक्टिव किरणों का अध्ययन किया। उन्होंने इन किरणों को दो विपरीत आवेशित प्लेटों के बीच प्रवाहित करने पर पाया कि ये किरणे तीन प्रकार की किरणों में विभाजित हो जाती हैं, जिन्हें एल्फा (α), बीटा (β), तथा गामा (γ) किरणे कहा जाता है।
एल्फा (α), बीटा (β), तथा गामा (γ) किरणों की तुलना
गुण | α -किरणें | β -किरणें | γ-किरणें |
प्रकृति | धनावेशित α -कणों की बनी है। | ऋणावेशित β -कणों की होती हैं। | x-किरणों की भाँति विद्युत-चुम्बकीय विकिरण हैं। |
α -कण हीलियम परमाणु का नाभिक होता है। | β -कण इलेक्ट्रॉन होते हैं। | ||
आवेश | 2 इकाई धनावेश होता है। | एक इकाई ऋणावेश होता है। | कोई भी आवेश नहीं होता है | |
द्रव्यमान | द्रव्यमान 4 amu होता है। | द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के समान होता है। | कोई द्रव्यमान नहीं होता है। |
प्रतीक | 2He^4 या 0α^4 से प्रदर्शित करते हैं। | -1B° या -1e° से प्रदर्शित करते हैं । | γ- से प्रदर्शित करते है | |
वेग | प्रकाश के वेग का 1/10वां भाग होती है। | प्रकाश के वेग का लगभग 9/10 वां भाग होता है। | प्रकाश के वेग के बराबर होता है। |
गतिज ऊर्जा | अधिक द्रव्यमान के कारण गतिज ऊर्जा बहुत अधिक होती है। | कम द्रव्यमान के कारण गतिज ऊर्जा बहुत कम होती है। | गतिज ऊर्जा लगभग शून्य होती है। |
बेधन क्षमता | बेधन क्षमता सबसे कम होती है। | बेधन क्षमता Y- किरणों से कम और α -किरणों से 100 गुना अधिक होती है। | बेधन क्षमता सबसे अधिक होती है| |
चुम्बकीय क्षेत्र में विचलन | उत्तरी धुरुव की ओर मुड़ जाती है। | दक्षिणी धुव की ओर मुड़ जाती हैं। | चुम्बकीय क्षेत्र का कोई प्रभाव नही पड़ता है। |
आयनन क्षमता | सर्वाधिक होती है। | α -किरणों से कम व γ-किरणों से अधिक होती है | सबसे कम होती है। |
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