ऊर्जा किसे कहते है एवं उदाहरण
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किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं। अत: प्रत्येक कार्य करने वाली वस्तु में कुछ-न-कुछ ऊर्जा होती है; जैसे- फेंका गया पत्थर खिड़की के शीशे को तोड़ सकता है |
![ऊर्जा किसे कहते है एवं उदाहरण 1 What is Energy and with Example in Hindi](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/What-is-Energy-and-with-Example-in-Hindi-293x300.png?x61905)
ऊर्जा का मात्रक जूल या अर्गे होता है। मुख्य रूप से ऊर्जा दो प्रकार की होती है
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)
किसी गतिशील वस्तु में उसकी गति के कारण कार्य करने की जो क्षमता होती है, उसे वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं, इसका मात्रक जूल होता है; जैसे-आँधी में टीन उड़ाने की क्षमता, गतिशील हथौड़े में कील गाड़ने की क्षमता, बहते हुए जल में टरबाइन के ब्लेडों को घुमाने की क्षमता होती है।
![ऊर्जा किसे कहते है एवं उदाहरण 2 Examples of Kinetic Energy in Diagram](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Examples-of-Kinetic-Energy-in-Diagram-300x123.png?x61905)
गतिमान वस्तु की गतिज ऊर्जा (KE)
KE = 1/2 mv2 = 1/2m (mv)2 => KE = p2/2m
जहां, m कण का द्रव्यमान तथा p = mv, कण का संवेग है।
स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)
‘वस्तुओं में उनकी विशेष स्थिति अथवा विकृत अवस्था (विकृति) के कारण जो ऊर्जा होती है, उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं इसे U से प्रदर्शित करते हैं तथा इसका मात्रक जूल होता है; जैसे-तनी हुई कमान में, दबी हुई स्प्रिंग में, ऊँचाई से गिरते झरने के जल में पृथ्वी तल से h ऊँचाई पर स्थित वस्तु की स्थितिज ऊर्जा U = mgh होती है।
![ऊर्जा किसे कहते है एवं उदाहरण 3 Diagram of Potential Energy (स्थितिज ऊर्जा)](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Diagram-of-Potential-Energy-स्थितिज-ऊर्जा-300x200.png?x61905)
![ऊर्जा किसे कहते है एवं उदाहरण 4 Example of Potential Energy (स्थितिज ऊर्जा)](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Example-of-Potential-Energy-स्थितिज-ऊर्जा-300x300.png?x61905)
![ऊर्जा किसे कहते है एवं उदाहरण 5 Potential Energy and Kinetic Energy Example](http://luckyexam.com/wp-content/uploads/2020/09/Potential-Energy-and-Kinetic-Energy-Example-300x300.png?x61905)
Note:
वस्तु की गतिज ऊर्जा-वस्तु के द्रव्यमान m के अनुक्रमानुपाती है तथा वस्तु की चाल के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है। चाल का वर्ग होने के कारण, गतिज ऊर्जा पर द्रव्यमान की अपेक्षा चाल का अधिक प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि गोली हल्की होने पर भी घायल कर देती है। यदि वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए तो उसकी गतिज ऊर्जा दोगुनी हो जाएगी, परन्तु यदि चाल दोगुनी कर दी जाए तो गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जाएगी पृथ्वी-तल पर स्थितिज ऊर्जा शून्य होगी, क्योंकि पृथ्वी-तल पर h = 0 यदि पिण्ड पुनः पृथ्वी पर गिरे तो इसकी स्थितिज ऊर्जा से mgh के बराबर कार्य प्राप्त किया जा सकता है।
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